हम दुनिया में अकेले आते है ,
विरासत में मिलते हमे ,
यहाँ कुछ नाते है ..
माँ - पापा , दादा-दादी ,भैया- दीदी ,
चाचा-चाची, मामा-मामी, नाना-नानी ..
इन्ही से होती हमारी ज़िन्दगी की शुरुआत ,
माँ का प्यार,पापा की डाट ..
दादा-दादी की कहानियां ..
दीदी-भैया के साथ हसी और किल्कारियां..
बड़ो के सिखाये संस्कार ,
वही दिखाते हमे राह ;
जिससे होते हम समझदार..
ज़िन्दगी की इस किताब
के पन्नो पर एक सवाल है ..
ये अगर जीना है ...
तो Life कहा है..??
दोस्तों के साथ घूमना ..
party करना, मौज मानना ..
माँ पापा से
झूठ बोलकर movie देखना ..
उनसे छुप-छुपकर लव-letters लिखना ..
college bunk करके picnic पर जाना ..
time से late आने पर,
college-stress का बहाना बनाना ..
लड़कपन के उन दिनों में ,
हम इससे ज़िन्दगी मानते है ..
पर ये अगर जीना है ...
तो Life कहा है..??
जब हम जिम्मेदारियां समझते है,
तो घर और काम में उलझते है ..
खुशियों के लिए पैसा ,या पैसों के लिए खुशियाँ ..?
क्यू समझ नहीं पाते ये जज़्बात है ..ज़िम्मेदारी पैसा है, या पैसा ज़िम्मेदारी ..?
इस पैसे का मायाजाल अन्नत है ..
जिसमें हम खोते तो खुद है ..
पर कुर्बान होते ,
कुछ रिश्ते, कुछ अपने है ..!!
हाँ ...!! रिश्तों से.. दोस्तों से ही
होती ज़िन्दगी है ..
उन्ही के साथ है खुशियाँ ..
उन्ही की खुशियाँ है जिम्मेदारियां ..
पर ये खुशियाँ , ये जिम्मेदारियां ,
पैसो से है मिलती ..
तो अगर पैसा से ही जीना है ..
Life कहा है..??
विरासत में मिलते हमे ,
यहाँ कुछ नाते है ..
माँ - पापा , दादा-दादी ,भैया- दीदी ,
चाचा-चाची, मामा-मामी, नाना-नानी ..
इन्ही से होती हमारी ज़िन्दगी की शुरुआत ,
माँ का प्यार,पापा की डाट ..
दादा-दादी की कहानियां ..
दीदी-भैया के साथ हसी और किल्कारियां..
बड़ो के सिखाये संस्कार ,
वही दिखाते हमे राह ;
जिससे होते हम समझदार..
ज़िन्दगी की इस किताब
के पन्नो पर एक सवाल है ..
ये अगर जीना है ...
तो Life कहा है..??
दोस्तों के साथ घूमना ..
party करना, मौज मानना ..
माँ पापा से
झूठ बोलकर movie देखना ..
उनसे छुप-छुपकर लव-letters लिखना ..
college bunk करके picnic पर जाना ..
time से late आने पर,
college-stress का बहाना बनाना ..
लड़कपन के उन दिनों में ,
हम इससे ज़िन्दगी मानते है ..
पर ये अगर जीना है ...
तो Life कहा है..??
जब हम जिम्मेदारियां समझते है,
तो घर और काम में उलझते है ..
खुशियों के लिए पैसा ,या पैसों के लिए खुशियाँ ..?
क्यू समझ नहीं पाते ये जज़्बात है ..ज़िम्मेदारी पैसा है, या पैसा ज़िम्मेदारी ..?
इस पैसे का मायाजाल अन्नत है ..
जिसमें हम खोते तो खुद है ..
पर कुर्बान होते ,
कुछ रिश्ते, कुछ अपने है ..!!
हाँ ...!! रिश्तों से.. दोस्तों से ही
होती ज़िन्दगी है ..
उन्ही के साथ है खुशियाँ ..
उन्ही की खुशियाँ है जिम्मेदारियां ..
पर ये खुशियाँ , ये जिम्मेदारियां ,
पैसो से है मिलती ..
तो अगर पैसा से ही जीना है ..
Life कहा है..??




